मैं बनूंगी छाँव तेरी
मैं बनूंगी छाँव तेरी,
तूं भी मेरी छाँव बनना,
सब-कुछ आसान है इस जहां में,
बस आसान नहीं है माँ बनना।
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माँ बिन है सूना ये जहान,
जो बिन देखे शुरू कर देती है प्यार हमें,
जिसके दामन में मिलता है प्यार बेसुमार हमें,
ना जाने कितनी ही रातें गुजार दी है बिन सोए,
हर पल दौड़कर आती है पास मेरे,
इससे पहले की हम रोंएं,
भूल जाती है अपनी जिंदगी के सुख सारे,
अपनी जिंदगी की खुशियां सारी,
नाम कर देती है हमारे ,
अपनी बांहों के घेरे में,
रखती है मुझको सदा,
हर घड़ी गमों के अंधेरे से बचाकर,
रखती है मुझको सदा,
उसे मिलती है खुशी एक नन्ही सी जान का,
सारा जहां बनना,
सब-कुछ आसान है इस जहां में,
बस आसान नहीं है माँ बनना।
* * * *
बच्चा जनने मे वो जिस दर्द से गुजरती है,
वो तो बस माँ ही जाने,
एक जान को इस जहां में लाने के लिए,
खुद अपनी जान को दांव पर लगा देती है,
अपनी जान की नहीं है परवाह उसे,
उसे हर घड़ी उसे अपना ही जाया दिखता है,
कोई और ना दिखे उसके सिवाय उसे ,
जिसके लिए माँ भूल जाएं भूख-प्यास अपनी,
हमारे सांसों की करें परवाह इस कदर,
वो भूल जाएं सांस अपने,
हमारे चेहरे पर देखकर खुशी की लहर,
फिर कुछ पल के लिए वो जाती है ठहर,
माँ सदा रखती है हम पर शीतला छाया,
हर सुख नाम कर देती हैं हमारे,
उसके हिस्से जो भी सुख आया,
एक से बढ़कर एक महान आएंगे,
ज़िन्दगी में हमारे,
जो हमको समझे अपनी जान,
हम भी रखेंगे उसका ध्यान,
जिसने त्याग कर सुखअपने,
पूरे किए हैं हमारे सारे सपने,
मैं भी माँ को मानूंगा ईश्वर का वरदान,
कदमों में रख दूंगा सुख सारे,
सदा करूंगा माँ का सम्मान,
जिसके मुख से बोले तो फूल जड़ें,
जो हंसे तो कलियां खिल जाएं,
जिसकी दुआएं हो सर पर हमारे,
बस आसान नहीं है माँ बनना।
माँ तुं सदा रहेगी धड़कन बनकर,
इस दिल में हमारे,
हम नंगें पैर दौड़े आएंगे,
तूं जब भी हमें पूकारे,
तुम्हारे एहसान हम पर इस कदर,
फिर कौन नहीं चाहेगा माँ की शान बनना,
सब-कुछ आसान है इस जहां में,
बस आसान नहीं है माँ बनना।
* * * *
creater-राम सैणी
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